टैक्स डिडक्शन की स्मार्ट प्लानिंग जरूरी

टैक्स डिडक्शन की प्लानिंग करते समय हमें हडबड़ी में काम नहीं करना चाहिए। आइये जानते हैं कि क्या सावधानियां बरतनी चाहिए...

सुयश एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। वह हाल में 75 लाख रुपये के मकान में शिफ्ट हुए हैं। यह मकान खरीदने के लिए उन्होंने 50 लाख रुपये का लोन लिया था। उनकी फैमिली में उनकी गृहिणी पत्नी और स्कूल जाने वाले बच्चे हैं। उनके इन्वेस्टमेंट अडवाइजर्स ने उन्हें सेक्शन 80सी के तहत बढ़ी डिडक्शन लिमिट के बारे में बताया है। साथ ही, यह भी कहा है कि उन्हें जल्द इन्वेस्टमेंट करने के बारे में सोचना चाहिए। हालांकि उनके पास इतना कैश नहीं है कि वह पूरे डेढ़ लाख रुपये की डिडक्शन लिमिट का फायदा उठा सकें। तो क्या वह टैक्स डिडक्शन की बढ़ी लिमिट का फायदा नहीं उठा पाएंगे?

टैक्स डिडक्शन के लिए प्लानिंग करते वक्त हम अक्सर यह भूल जाते हैं कि सेक्शन 80सी न सिर्फ सेविंग्स स्कीमों में इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देता है, बल्कि यह कुछ दूसरे खर्चों पर टैक्स रिलेटेड कुछ राहतें भी देता है। हमारे लिए यह बड़ी बात है कि हम चीजों को जानकर उनसे जुड़े फैसले लें और आखिरी वक्त में इन्वेस्टमेंट के फैसले करने की हड़बड़ी से बचें।

बहुत से इनवेस्टर्स टैक्स बेनेफिट क्लेम करने में अफरातफरी मचाते हैं। इस चक्कर में वे कई बार लंबे लॉक इन पीरियड वाले इन्वेस्टमेंट्स में फंस जाते हैं। कुछ में विदड्रॉल की बंदिश होती है तो कुछ में हर साल कॉन्ट्रिब्यूशन करने की जरूरत होती है। इंश्योरेंस प्रीमियम पेमेंट करने में चूक करने वालों की संख्या को देखकर लगता है कि लोग टैक्स बचत के लिए कमिटमेंट करने में कितनी जल्दबाजी दिखाते हैं। सुयश को इन्वेस्टमेंट करने और उसके लिए फंड जुटाने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। उनको उन दूसरी गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए, जिनसे वह सेक्शन 80C के तहत टैक्स डिडक्शन का फायदा उठा सकें।

सुयश को शुरुआत इससे करनी चाहिए। पहले उनको यह देखना चाहिए कि वह हर साल प्रॉविडेंट में कितना इन्वेस्टमेंट करते हैं। उनको पीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन पर सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है। उनको होम लोन पर भी बड़े डिडक्शन का लाभ मिलता है। होम लोन के EMI के प्रिंसिपल अमाउंट पर सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन का लाभ लिया जा सकता है। अगर उन्होंने मकान इसी फिस्कल इयर में खरीदा है तो उसकी स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज पर हुए खर्च को भी डिडक्शन के तौर पर क्लेम किया जा सकता है।

इसके अलावा बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में दी गई ट्युइशन फीस भी सेक्शन 80सी के तहत आती है। सुयश को अपनी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम पेमेंट पर भी टैक्स डिडक्शन क्लेम करना चाहिए। इसका लाभ तब मिलता है जब प्रीमियम अमाउंट सम एश्योर्ड के 10 पर्सेंट से कम होता है। इन सब पर एक नजर डालने से पता चल जाएगा कि सुयश डेढ़ लाख रुपये की टैक्स डिडक्शन लिमिट के बड़े हिस्से का यूज कर लेते हैं।